Chhath Puja Ki Katha 2023: भारत एक ऐसा देश है जिसे त्योहार के भूमि के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि भारत देश में इतनी ज्यादा त्योहार मनाए जाते हैं जितने की किसी भी देश में नहीं मनाई जाते होंगे अपने भारत देश में त्योहारों का सिलसिला हमेशा चलता रहता है साल में बहुत ज्यादा त्यौहार आते हैं और सभी त्योहारों को भारत देश में उत्साह पूर्वक मनाया जाता है इन्हीं सभी त्योहारों में से एक त्यौहार है छठ पूजा, भारतीय पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को मनाया जाता है, छठ पूजा का पर्व संतान की लंबी उम्र और परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए मनाया जाता है।
यह सबसे कठिन व्रत में से एक माना जाता है मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है अगर वह महिलाएं छठ पूजा (Chhath Puja 2023) करती है तो छठी मैया उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं और उनके घर में हमेशा खुशहाली और सुख समृद्धि बनी रहती है, इस साल छठ का पूजा 17 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा और छठ पूजा की समाप्ति 19 नवंबर 2023 को होगी। बिहार का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja Ki Katha 2023) होता है और बिहार की सभी महिलाएं छठ पूजा का व्रत बड़े ही उत्साह से रहती हैं, लेकिन क्या आपने यह सोचा है कि छठ पूजा की शुरुआत कब हुई कैसे हुई और सबसे पहले छठ पूजा किसने किया था।
हालांकि अब तो बिहार के अलावा भी बहुत से राज्यों में छठ पूजा का पर्व मनाया जाने लगा है तो दोस्तों अगर आप लोग भी छठ पूजा के बारे में सभी जानकारी डिटेल में प्राप्त करना चाहते हैं तो बने रहे हमारे इस लेख में, क्योंकि इस लेख में आप सभी को बताएंगे कि छठ पूजा का त्यौहार कब कैसे और क्यों मनाया जाता है इसके साथ ही यह भी बताएंगे Chhath Puja Ki Katha 2023 छठ पूजा के पीछे पौराणिक कथाएं क्या है-
Chhath Puja Ki Katha 2023: छठ पर्व की शुरुआत कैसे हुई-
छठ पूजा का पर्व भारत के बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, और और पूर्वी इलाके में मनाया जाने वाला यह मुख्य पर्व है इन राज्यों के साथ-साथ अब बहुत से इलाकों में भी छठ का पर्व मनाया जाता है। नहाए खाए से लेकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने तक कि यह परंपरा के पीछे एक अलग ही इतिहास है इसके बारे में आज हम जानेंगे ।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आप सभी को बता दे की छठ महापर्व (Chhath Puja Ki Katha 2023) की शुरुआत माता सीता ने की थी, जब लंका के राजा रावण का वध करने के बाद श्री राम पहली बार अयोध्या पहुंचे थे उसके बाद माता सीता ने छठ का यह पर्व मनाया था। माता सीता ने राम राज्य की स्थापना और सुख समृद्धि के लिए छठ का उपवास रखा था और उस समय भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की। छठ का यह महापर्व (Chhath Puja 2023) माता सीता ने सबसे पहले बिहार के मुंगेर में गंगा नदी के तट पर किया था जिसके बाद से इस महापर्व की शुरुआत हुई और बिहार के साथ-साथ सभी अन्य देश और राज्यों में भी छठ पूजा का महा पर मनाया जाने लगा है।
Chhath Puja Ki Katha 2023: छठ पूजा की कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी संतान सुख से वंचित थे उनकी कोई भी संतान नहीं थी, इस बात से राजा और उनकी पत्नी मालिनी दोनों लोग बहुत ही ज्यादा दुखी रहते थे, एक दिन राजा और उनकी पत्नी मालिनी ने संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप के पास जाकर यज्ञ करवाया महर्षि ने यज्ञ संपन्न करने के बाद मालिनी को खीर का प्रसाद दिया और खीर का सेवन करने के बाद मालिनी गर्भवती हो गई और 9 महीने बाद मालिनी को पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन दुर्भाग्य से रानी का पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। यह देखकर राजा प्रिया व्रत और उनकी पत्नी मालिनी बहुत ज्यादा दुखी हो गए और निराश हो गए जिसकी वजह से उनके मन में तरह-तरह के बातें उत्पन्न होने लगी राजा ने तो आत्महत्या तक करने का मन बना लिया लेकिन जैसे ही जैसे राजा आत्महत्या करने लगे तभी उनके सामने मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और उन्होंने कहा कि मैं षष्ठी देवी हूं और मैं लोगों को संतान सुख प्रदान करती हूं। जो व्यक्ति सच्चे मन से मेरी पूजा करते हैं मैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हूं अगर राजन तुम मेरी पूजा पूरे विधि विधान से करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रताप की वरदान दूंगी देवी के कहे अनुसार राजा और रानी ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सृष्टि तिथि को छठ देवी की पूजा की और इस पूजा की फल स्वरुप रानी मालिनी एक बार फिर से गर्भवती हुई और 9 महीने बाद उन्हें एक सुंदर से पुत्र की प्राप्ति हुई तभी से छठ पूजा का पर्व पूरे देश में श्रद्धा भाव से मनाया जाने लगा।
अक्सर लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सवाल (Chhath Puja Ki Katha 2023)
छठ पूजा मनाने का क्या कारण है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल से ही छठ का महापर्व मनाया जाता है, सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य भगवान की पूजा करके इस पर्व की शुरुआत की थी तब से अभी तक सभी लोग छठ का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
छठ पूजा के क्या महत्व है?
छठ पूजा का पर्व बिहार का महापर्व कहां जाता है लेकिन बिहार के साथ-साथ अब भारत के बहुत से राज्यों में इसे मनाया जाता है छठ पूजा में महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए सूर्य देव को अर्घ्य देती है।
बिहार में छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?
बिहार में यह मानता है कि जिन महिलाओं को संतान नहीं होती है, अगर वह महिलाएं छठ पूजा का महापर्व सच्चे मन से करती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है और उनके परिवार में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है, इसीलिए ज्यादातर बिहार में छठ का महापर्व मनाया जाता है।
छठी मैया किसकी पत्नी है?
छठी मैया भगवान सूर्य की पत्नी है, जिन्हें संज्ञा के रूप में भी जाना जाता है।
छठ पूजा का दूसरा नाम क्या है?
छठ पूजा को प्रतिहार डाला छठ और सूर्य सृष्टि के नाम से भी जाना जाता है ।इस बार छठ पूजा का पर्व 17 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा।
पीरियड में छठ पूजा कैसे करें?
छठ पूजा पवित्र और शुभ महापर्व है और अगर आप मासिक धर्म में हैं तो छठ में पूजा बिल्कुल भी ना करें, क्युकी पूजा पाठ जैसे शुभ अवसर पर अगर आपको पीरियड आ जाए तो पूजा करना अशुभ माना जाता है।
छठ पूजा पर कौन से देवता की पूजा होती है?
छठ पूजा के महापर्व पर भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है।
यह भी पढ़े-