Mughal Harem History: आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें मुगल काल के बारे में जानना काफी ज्यादा पसंद है बहुत से लोग मुगल काल की ऐतिहासिक कहानी पढ़ना पसंद करते हैं जिससे उन्हें भी यह जानकारी हो कि हमारा इतिहास क्या है और मुगल काल में क्या होता था और क्या नहीं, जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं मुगल काल में मुगल बादशाह के महल में काफी ज्यादा रानियां दासियां एवं किनारी हुआ करती थी आज के इस लेख में हम मुगल काल से संबंधित एक ऐसी रहस्य का खुलासा करने वाले हैं Mughal Harem History इसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा।
आप लोगों को यह तो पता होगा कि मुगल काल में काफी ज्यादा दासिया हुआ करती थी जो मुगल बादशाह को खुश करने के लिए तरह-तरह की कृतियां किया करती थी। लेकिन आप लोगों ने यह नहीं सुना होगा कि मुगल बादशाह के दरबार में दासियों का क्या काम था और दासियां क्या करती थी। कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि मुगल हरम में 5,000 से भी अधिक औरतें मुगल हरम में हुआ करती थी एवं कई रानियां और किन्नरें भी मौजूद हुआ करती थी। अब हम आप लोगों को यह बताएंगे कि मुगल काल में मुगल बादशाह को खुश करने के लिए दासियां कौन-कौन से तरीके अपनाती थी एवं कौन-कौन सा कार्य करती थी जिससे मुगल बादशाह खुश हुआ करती थी।
बादशाह और दसियों की अनोखी कहानी
इतालवी यात्री मनूची और और डच व्यापारी फ्रांसिस्को पेलसर्ट ने मुगल बादशाह से जुड़ी कई ऐसी बातें बताई है जिसे जानकर आप लोग हैरान हो जाएंगे। कई इतिहास की पुस्तकों में यह लिखा है कि जब जहां गिर अपनी बेगम से मिलने जाता था तब बेगम के कमरे को भी इतनी भव्यता के साथ सजाया जाता था कि इसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा ।आप लोगों को बता दें कि बेगम के कमरे में इत्र छिड़क कर कमरे को खुशबू से भर दिया जाता था एवं दासिया रश्मि पंखों से हवा देते हुए नजर आती थी कुछ दासिया तो गुलाब जल का छिड़काव भी करते हुए नजर आती थी।
बादशाह को खुश करने के लिए दासियां करती थी ये काम
जहांगीर उत्तेजित करने वाली चीजें खाता था। बादशाहो के बीच दासियों का सिर्फ यही काम नहीं होता था कि वे सिर्फ बादशाहों के आसपास रहकर रेशमी पंखे हिलाए बल्कि जब बादशाह उत्तेजित होने वाला चीज खाते थे तब जो भी दासी बादशाह को पसंद आई थी बादशाह इस दासी के साथ रात बिताते थे।
अगर वह दासी जहांगीर को खुश करने में कामयाब हो जाती थी तो उसे दासी पर जहांगीर सोने, हीरे,जायदाद की बरसात कर देते थे। और वह दासी हमेशा के लिए बादशाह की चहेती बन जाती थी और अगर कोई दासी बादशाह को खुश करने में ना कामयाब हुई तो उसे दासी को बादशाह के सामने कभी भी आने की अनुमति नहीं मिलती थी।