आज के आधुनिक जमाने में तो लगभग सभी के घरों में सरकार के द्वारा शौचालय बनवाया गया है ताकि कोई भी इंसान शौच करने के लिए अपने घरों से बाहर न जाए इसके लिए भारत सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया गया ताकि सभी के घरों में शौचालय की व्यवस्था की जा सके लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पहले जमाने के बड़े-बड़े राजा महाराजा शौच के लिए कहां जाते थे, क्या वे सभी बड़े राजा महाराजा बाहर जाते थे आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब
आपको बता दे की पुराने जमाने में जो राजा महाराजा हुआ करते थे उन लोगों ने भी अपनों महलों में शौचालय बनवाया था इतिहासकार बताते हैं कि पहले के राजा महाराजा शौच के लिए खेतों में नहीं बल्कि अपने महल में शौचालय बनवाया करते थे. इस बात की पुष्टि जब हुई तब पुराने किलों में खुदाई का कार्य चल रहा था, खुदाई के दौरान शौचालय के अवशेष मिले. इतिहासकार यह भी बताते हैं कि पुराने जमाने में राजा की रानियां के लिए महल में ही उत्तम व्यवस्था होती थी ताकि कोई भी रानी बाहर ना निकल सके.
![क्या आपने कभी सोचा है की पुराने जमाने में राजा-महाराजा शौच के लिए कहां जाते थे? आज जान ही लीजिए](https://gyankibaat.in/wp-content/uploads/2021/03/Interesting-facts-in-hindi-1280x720.jpg)
ये तो सब जानते है कि राजा महाराजाओं और रानियों के लिए मुख्य महल से अलग एक स्नानघर होता था, जहां महल में रहने वाली रनियां नहाया करती थी वैसे ही बाड़े नुमा शौचालय भी होता था। लेकिन शौच के बाद उस अपशिष्ट पर मिट्टी या राख डाल दी जाती थी। कुछ ही दिनों पहले जब राजस्थान में खुदाई चल रही थी तब शाही टॉयलेट मिला है. जिससे यह तो पूरी तरह से साफ होता है कि पहले के राजा महाराजा खेतों में नहीं बल्कि अपने महल में ही शौच के लिए जाते थे. खुदाई के दौरान मिलने वाले स्थाई टॉयलेट का इस्तेमाल सिर्फ शाही परिवार ही किया करते थे. आपको बता दे कि आज से लगभग 5000 साल पहले की सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में भी टॉयलेट के अवशेष मिले हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसे जमाने के लोग भी कितने मॉडर्न हुआ करते थे.
सिंधु घाटी सभ्यता में मिले शौचालय होने के सबूत
सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई के दौरान टॉयलेट्स में दोनों फ्लश टॉयलेट और नॉन फ्लश टॉयलेट मिले है। इनके आस-पास नालियों का जाल भी बिछा हुआ मिला है जो कचरे को बहार करने में काम आता था। खुदाई में सम्प टॉयलेट्स जैसा दिखना वाला एक ड्राई टॉयलेट भी मिला है। जो दिखने में वेस्टर्न टॉयलेट जैसा ही होता था। बता दें कि दिल्ली में सुलभ शौचालय का संग्रहालय बनाया गया है। यहां राजा महाराजाओं के समय के सिंहासन की तरह दिखने वाले टॉयलेट रखे गए है।
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सुलभ शौचालय संग्रहालय में हड़प्पा सभ्यता के दौरान मोहन जोदड़ो में इस्तेमाल होने वाले टॉयलेट सीट, सब तरह के प्राचीन शौचालय रखे गए हैं। इन सभी खोजों से पता चलता है कि भारत के लोग प्राचीन काल से स्वच्छता का ध्यान रखते थे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-
मुगल काल में शौचालय कैसे होते थे?
इतिहासकारों के मुताबिक मुगल काल में शौचालय घड़े के आकार बनाकर छेड़ कर बनाया जाता था.
क्या पुराने समय में राजा महाराजा भी शौचालय के लिए खेतों में जाते थे?
नहीं पहले जमाने के राजा महाराजा शौचालय अपने महलों में बनवा कर रखते थे और अपने महलों में ही शौच के लिए जाते थे.
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