राजपूतों ने अपनी बेटियों की शादी मुगलों से क्यों की?

मुगलों ने हमारे देश पर कई सालों तक राज किया । भारतीय इतिहास में राजपूत सम्राटों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिनका योगदान राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर से गहरा रिश्ता है। क्योंकि राजपूत राजा अपनी बेटियों की शादी मुगलो के घर किया करते थे आखिर क्या था इसके पीछे की वजह आज हम लोग इस पोस्ट में इसके बारे में डिटेल में जानेंगे –

राजपूतों ने अपनी बेटियों की शादी मुगलों से कई कारणों से की थी, इसके पीछे मुगल साम्राज्य के सबसे श्रेष्ठ बादशाह अकबर का बहुत बड़ा हाथ था अकबर चाहता था कि जितने भी राजपूत राजा थे सभी को अपनी तरफ कर ले और पूरे भारत पर अपना अधिकार स्थापित कर सके। इतिहासकार यह भी बताते हैं कि राजपूतों को मुगलों के यहां अपनी बेटियों का शादी इसलिए करना पड़ा क्योंकि दोनों साम्राज्यों के बीच शांति बनी रहे और कोई भी विवाद उत्पन्न ना हो।

मुगल,राजपूतों के साथ संबंध बनाकर पुरें भारत पर कब्जा करना चाहते थे यह सारी राजनीति अकबर की थी। उनका मानना ​​था कि राजपूत उन्हें एक वफादार और मजबूत सेना प्रदान करेंगे। सैन्य शक्ति उसे और समग्र रूप से मुगल साम्राज्य को अत्यधिक सुरक्षा प्रदान करेगी। अकबर ने राजपूतों को कई तरह की सुविधा प्रदान किए थे।

अकबर की नई कूटनीतिक रणनीति

15वीं शताब्दी के मध्य के बाद, मुगलों और राजपूतों के बीच एक वैवाहिक संबंध बन गया। क्योंकि राजपूत  राजायों धीरे-धीरे राजनीतिक पकड़ से हाथ धो बैठे और अपनी बेटियों की शादी मुगल शासकों से करने के लिए राजी हो गए।  यानी राजपूत  राजा अपनी बेटियों को अकबर के शाही हरम में भेजने के लिए तैयार हो गए । अकबर का शाही हरम बेहद ही खूबसूरत था जहां महिलाओं का निवास स्थान था इस हरम में मुगल राजा के अलावा दूसरा कोई भी व्यक्ति अंदर प्रवेश नहीं कर सकता था  मुगल हरम 1562 से  लेकर 1715 तक, यानी 150 वर्षों तक रहा।

राजपूत राजाओं ने सबसे पहले अपनी बेटी की शादी 1562 में मुगल सम्राट अकबर से किया जिसे जोधा बाई, हरखा बाई और हीरा कुनवाई जैसे अन्य नामों से जाना जाता था। वह आमेर के राजा, राजा  भारमल की बेटी थीं। मुगलों ने राजपूतों को कई उपहार दिए। अकबर की पत्नी के भाई यानी जोधा बाई के भाई राजा भगवान दास को मुगल घुड़सवार सेना के सेनापति बनाया।  इसके बाद बीकानेर के राव कल्याणमल भी अपनी दो भतीजियों राज कंवर और भानुमती का विवाह  मुगल सम्राट अकबर से करना चाहते थे। इसी समय जैसलमेर में एक राजा हुआ करते थे जिनका नाम हरि राज था वह भी अपनी बेटी राजकुमारी नाथी बाई की शादी सम्राट अकबर से करना चाहते थे। उनके पुत्र कुँवर सुल्तान सिंह को भी अकबर ने दरबार में एक सरदार के पद पर नियुक्त करवाया। इसी तरह से सारे राजपूत राजाओं ने अपनी अपनी बेटियों की शादी मुगलों से करवाने के लिए तैयार हो गए । अकबर इतना शातिर और चालाक था कि कभी भी उनके अपने हिंदू धर्म का पालन करने का विरोध नहीं किया। अकबर अपने माता-पिता और रिश्तेदारों को जितना सम्मान करता था उतना ही सम्मान राजपूत रानियों के साथ भी करता था । अकबर की एक खास बात यह थी कि अकबर कभी भी हिंदू रानियों को इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए नहीं बोला, हिंदू धर्म में जितने भी पूजा पाठ हुआ करता था सभी के लिए अकबर मान गया।  अकबर सभी को एक ही सामान मानता था, इसी कारण अकबर को मुगल शासकों में से सबसे श्रेष्ठ शासक भी कहा जाता है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि मुगल इतिहास में मुगलों के जितने भी हिंदू पत्नियां हुई सभी का कोई हिंदू नाम दर्ज नहीं हैं, सभी हिंदू पत्नियों के मुस्लिम नाम दर्ज हैं। इस प्रकार, मुगल अभिलेखों में जोधा बाई का कोई उल्लेख नहीं है, बल्कि उनकी पहचान ‘मरियम-उज़-ज़मानी’ के रूप में की जाती है, जो अकबर द्वारा अपनी पत्नी को दी गई उपाधि थी।

अकबर के पुत्र जहाँगीर का राजपूत राजकुमारियों से विवाह

अकबर की मृत्यु के बाद पुत्र जहाँगीर उत्तराधिकारी बना,जहांगीर का विवाह सबसे पहले 1585 ई. में मानबाई से हुआ जो आमेर के राजा भगवानदास की पुत्री व मान सिंह की बहन थी। इसके बाद दूसरा विवाह मारवाड़ के राजा उदयसिंह की पुत्री जगतगोसाई से हुआ। इसके बाद कई रानियों से शादी किया,जहांगीर ने अपने शासनकाल में कई नेक काम किए जैसे- कान,नाक और हाथ आदि काटने की सजा को बंद की किया ,शराब पर लगाम लगाया,कई अवैध महसूलात हटा दिए। आपको बता दें कि जहांगीर चित्रकारी और कला का बहुत शौकीन था। इसने कई किताब भी लिखे हैं, लेकिन जहांगीर की एक आदत बहुत खराब थी वह थी शराब और अफीम की लत इसी के कारण इसकी हालत धीरे-धीरे खराब होने लगी और 28 अक्टूबर 1627 ई. में कश्मीर से वापस आते समय रास्ते में ही भीमवार नामक स्थान पर निधन हो गया।  जहांगीर को लाहौर के पास शहादरा में रावी नदी के किनारे दफनाया गया। जहांगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता हैं ।

मुगलों और राजपूतों का अंतिम विवाह 

कुछ समय के बाद, जब मुगलों ने देखा कि उन्होंने अपने साम्राज्य में स्थिरता हासिल कर ली है, इसके बाद मुगलों ने राजपूत रानीयों से शादी करना कम कर दिया। मुगलों और राजपूतों के बीच आखिरी विवाह 1715 में हुआ जो मुग़ल सम्राट अब्बुल मुज़फ़्फ़रुद्दीन मुहम्मद शाह फ़र्रुख़ ने इंदिरा कंवर से शादी की, जो मारवाड़ के राजा अजीत सिंह की पुत्री थीं। लेकिन राजपूत राजा अपने दामाद से नफरत करते थे और उनके शासन को उखाड़ फेंकने और उसे मारने में सहायक थे। भारत कंवर को भी शाही हरम से वापस लाया गया और हिंदू धर्म में परिवर्तित कर दिया गया।

नीचे सूची में मुगलों ने राजपूत रानियों से कब-कब शादी और किस-किस से की सारी जानकारी दी गई है –

प्रमुख मुग़ल सम्राटों के नाम उनकी राजपूत पत्नियाँ और उनके विवाह का वर्ष
अकबर
  • 1562 में – हीरा कुंवारी से,जिसे
    मरियम-उज़-ज़मानी के नाम से जाना जाता हैं, जो आमेर (जयपुर) के राजा भीरामल की बेटी थी।
  • 1562 में- नाथी बाई से , जो जैसलमेर के राजा हरिराज सिंह की पुत्री थी।
  • 1570 में- राज कुंवरी जो, बीकानेर के कुँवर श्री कंहो की बेटी और राय कल्याण सिंह की भतीजी थी।
  • 1570 में – भानुमती कुंवरी से जो , बीकानेर के कन्वर श्री भीम राज की पुत्री थी।
  • 1573 में- नगरकोट की राजा जयचंद की बेटी से।
  • 1577 में – डुंगरपुर की महारावल बहादुर की बेटी से हुआ।
  • 1581 में- मारवाड़ के राव माल देवजी की बेटी से किया।
  • 1581 में – मेरठा के राजा केशव दास की बेटी से किया ।
  • 1597 में – कूच बिहार के राजा लक्ष्मीनारायण भूप बहादुर की बेटी से शादी किया।
शाहज़ादा सुल्तान दानियाल मिर्ज़ा 1595 – जोधपुर के राजा कुंवर रायमल की बेटी से विवाह।
जहाँगीर
  • 1584 – नूरपुर के राजा बासु की बेटी रत्तन बाई से शादी रचाई ।
  • 1585 – अम्बर के राजा भगवंत दास की बेटी मानभावती बाईजी कुंवरी (मान बाई) से शादी रचाई ।
  • 1586 – जोधपुर के राजा उदय सिंह की बेटी मानवती बाईजी लाल (बिल्क़िस मकानी) से शादी रचाई ।
  • 1586 – बीकानेर के राजा राय सिंह की बेटी से शादी रचाई ।
  • 1587 – जैसलमेर के राजा भीम सिंह की बेटी मलिका–इ–जहाँ बेगम, से शादी रचाई ।
  • 1591 – मेरठा के केशब दास राठौड़ की बेटी करमसी बाईजी लाल, और वर्षों के साथ अन्य राजपूती राजकुमारियों से भी से शादी किया।
सुल्तान मुहम्मद परवेज मिर्ज़ा 1624 में – जोधपुर के राजा गज सिंह की बहन से विवाह किया।
शाहजहाँ 1627 – खड़वर के राव सकत सिंह की बेटी लीलावती बाईजी से विवाह किया।
शहज़ादा सुलेमान शिकोह 1654 – नागौर के अमर सिंह की बेटी अनूप कुंवर बाई से विवाह किया।
औरंगजेब 1639 – राजौरी के राजा राजू महाराज की बेटी अनुराधा बाई से विवाह किया।
अंत में फ़र्रुख़-सियार 1715 – जोधपुर के राजा अजित सिंह की बेटी इंदिरा कुंवर से शादी रचाई।

 

ये थी मुगलों के द्वारा राजपूत राजकुमारी से शादी करने की पूरी जानकारी राजपूत राजा अपनी बेटियों की शादी मुगलों से नहीं करवाना चाहते थे लेकिन उन्हें मजबूरन मुगलों से करवानी पड़ी यह पोस्ट आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और अपने  दोस्तों के पास जरूर शेयर करें ताकि और लोग भी इतिहास से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सके।

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